Kiran Mishra

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लेखनी कहानी -01-Jul-2023

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता-

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
सुविधाएँ जितनी हो आसमां पूरा नहीं मिलता

देखकर दूसरे को तड़पने से भला क्या फायदा
दिल में फ़ासले तो दिलदार पुराना नहीं मिलता

फिर भटकते रह जाते हैं टूटे घरौंदे लेकर बेवज़ह
मैने देखा है कोई हीर सा दीवाना नहीं मिलता

लोग आलस में फोन पर ही दुआ सलाम कर लेते
कइयों को खाना पचाने का बहाना नहीं मिलता

तमाम रातें मैकदे में ग़म पीकर काट लेते साहब
उन्हें आशिकी का फिर वो ठिकाना नहीं मिलता

अगर ख़्वाबों से महल बनता तो आदमी माहिर है
छूकर चांदनी चांद उतारने का बहाना नहीं मिलता॥
किरण मिश्रा# निधि#
आधेअधूरे मिसरे / प्रसिद्ध पंक्तियाँ

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खूबसूरत भाव

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